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Time

वक्त का दरिया

in poems

सोचा था कि……., जब कभी वक्त नहीं होगा, एहसास की लहरों पर, मैं खुद को भिगो लूंगी । जब फूल भी ना होंगे तब खुश्क से मौसम में, पत्तों के खड़कने पर, संगीत बना लूंगी। पेड़ों पर आएगी, जब भी नयी तरुणाई, नव शब्द की माला से, नए गीत बना लूंगी। अब वक्त के बहते…

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समय से संवाद

in poems

समय मंद मंद बहो न, अविरल गति से चल चल कर, क्यों थकते नही कहो न, आदि से अनादि तक, क्यों करते रहते शंखनाद? जीवन के संघर्षो को, क्यों निर् निमेष तकते रहते? द्वापर का ये काल  नही है, कान्हा सा अवतार नही है, अनाचार के दावानल को, कौन रोके, कहो न…, समय मंद मंद…

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