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Mother

नींव का पत्थर

in poems

जिस की कोमल अनुभूति से, श्वांसे धड़क रही हैं, बन के घर के नींव का पत्थर, फिर भी सिसक रही हैं। उसे “एक” दिन प्रेम प्रर्दशन में, दुनिया न समेटे, जो दुनिया को नवजीवन, और देती बेटी बेटे। जाकर कोई समझाओ, दुनिया उनके आंसू पोंछे, तब सार्थकता मातृदिवस की, जब मांओं की पीड़ा सोखे।

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श्रद्धांजलि

in poems

माँ तू चली गयी और पीछे छोड़ गयी गहरी पीड़ा की रेख अवसादों का कुञ्ज जिसे अब तू कभी न पायेगी देख ईश्वर के दरबार में तेरा हो अभिषेक निर्वासित सा जीवन जीकर सुख दुःख से निर्लिप्त रही परिजनों से अतृप्त शिव की नगरी काशी में कर के जीवन दान परमपिता के चरणो में अब…

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शुभकामनाएं

in poems

प्रिय आकाश, शुभकामनाएं प्रकाश नवल, आकाश नवल, जीवन पथ का हर मार्ग नवल, प्रतिपल परिवर्तित जीवन का, हर गान नवल, हर मान नवल, गुंजित हो सभी दिशाओं सें, वरदान नवल प्रतिदान नवल। तुम्हारी मांँ

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