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History

विडंबना

in poems

रक्तिम है कुरुक्षेत्र की माटी , चीख रही है अब भी घाटी, कर्तव्यों से आंख मूंदकर, बन जाना गांधारी , ऐसी थी क्या लाचारी ? लालच के दावानल, जब अपनों को झुलसाएंगे , कलयुग की इस विडंबना में, कृष्ण कहां से आएंगे ? सिंहासन पर यदि विराजित, धृतराष्ट्र हो जाएंगे , प्रतिभाओं के चीरहरण पर…

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गुरु शिष्य संवाद

in Stories

१२ वर्ष तक गुरुकुल  में रह कर शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिष्य के जब घर जाने का समय आया,तब शिष्य ने गुरुजी से पूछा,कि गुरुदेव कृपया सांसारिक जीवन को स्वर्ग जैसा सुखद बनाने का उपाय तो बताएं,ताकि जीवन में कष्ट का आगमन न होने पाएं। गुरु ने कहा,कि तुम जीवन के प्राकृतिक नियमों के…

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राजा भोज

in Stories

  राजा भोज जब 5 वर्ष के थे, तब उनके पिता बहुत बीमार हो गए थे। बहुत उपचार के बाद भी जब राजा की तबीयत में संतोषजनक सुधार न हुआ, तब राजा ने अपने भाई मुंज को बुलवाया और कहा कि मेरा पुत्र भोजराज अभी बहुत छोटा है, इसके राज्य संभालने लायक होने तक, राज्य…

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राम के ईश्वरीय गुण

in Blogs

राम का जन्म एक राज कुमार के रूप में हुआ, जब उनका राजतिलक होना था, उसी समय घटनाक्रम कुछ ऐसे बदले की उन्हें पत्नी के साथ जंगल में जाकर रहना पड़ा| जहाँ उनकी पत्नी का अपहरण भी हो गया और पत्नी को मुक्त कराने के लिए उन्हें युद्ध भी लड़ना पड़ा । फिर जब पत्नी…

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हे कृष्ण !

in poems

सौंदर्य का संधान हो तुम, माधुर्य का आधान हो तुम, सौम्यता का पर्याय हो तुम, गाम्भीर्य का अभिप्राय हो तुम, मेरे अबोध अन्तःस्थल की, अभिज्ञान हो तुम, विश्रांति हो तुम ।

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द्रौपदी की व्यथा

in poems

अरे! केशव…,आओ न, प्रतीक्षारत नयन मेरे, भींगे भींगे से क्यूँ है ? बताओ न…, घाव गहरे है, जीवन पे पहरे है, अगर लगा सको तो, थोड़ी मरहम लगाओ न, केशव…,आओ न, आगत भविष्य तो पता नही, बीता अतीत भी रिसा नही, बूँद बूँद जो रीत रहा जीवनघट, वो भर जाओ न,केशव…,आओ न, कुछ पल साथ…

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महाभारत

in poems

अग्निगर्भा द्रौपदी की, बात है इतनी पुरानी, मान और अपमान के, दस्तूर की ये है कहानी। नारी पर आघात की, और फिर प्रतिघात की, रिश्तों में व्यवधान की, युद्ध के संधान की, दम्भ था विकराल इतना, जल गया संसार कितना, बन गई श्मशान धरती, रह गयी बस रुदन सिसकी। वो कैसी भीष्म प्रतिज्ञा थी, जो…

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