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Gandhi

महात्मा गांधी

in poems

गाँधी गाँधी कहते कहते, हम सत्य अहिंसा भूल गये, अपनी पीड़ा तो याद रही, पर पीर पराई भूल गए, अपने अधिकारों का परचम, हर दम लहराना याद रहा, पर स्व कर्म और राष्ट्र धर्म का, दीप जलाना भूल गये, शहीदों की तस्वीरों पर, फूल चढ़ाना याद रहा, पर भुला दिया आदर्शो को, जिनकी ख़ातिर वो…

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मोहनदास करमचंद गांधी

in poems

स्वच्छता था जीवन संदेश, सहिष्णुता उनका मंत्र विशेष, सत्य और अहिंसा के दम पर, जिसने कराया राज्याभिषेक, रक्तरंजित युद्धों को जिसने, अहिंसा का पैगाम दिया, असहयोग के शस्त्र से जिसने सत्ता को भयभीत किया, जन जन की आवाज था जो, स्वतंत्रता की परवाज था जो, विश्व पटल पर अंकित है, जिसका स्वर्णिम इतिहास, उसको दुनिया…

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गांधी

in poems

वंचित न हो दुनिया में, कोई मौलिक अधिकारों से, समानता की अलख जगाएँँ, हम अपने व्यवहारोंं से, वो युगद्रष्टा, वो राष्ट्रपिता, वो करुणा का पालनकर्ता, खादी जिसकी पहचान है, जिसका जीवन दृष्टांत है, उस गांधी के आदर्शों के, हम फिर से दीप जलाएँँ , भ्रमित हुए युवा मन को, हम रौशन पथ पर लाएं।

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