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Emotion

साझेदारी

in Stories

मेरे बाबा, जिनके गुस्से से घर में मेरी मां और सारे भाई बहन डरते थे । वो जब किसी बात पर नाराज होते थे, तो किसी की हिम्मत नहीं होती थी , कि उन्हें भोजन कक्ष में बुलाकर ले आए। मैं घर में सबसे छोटी थी, शायद सबसे निर्भीक भी ,इसलिए जब बाबा गुस्से में…

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जिज्जी

in Stories

A stort about society marriage system

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चंद शेर……!

in poems
Trust

फुर्सत के लिए फुर्सत, तो निकालो यारों! जब वक्त निकल जाएगा, तो खाक मिलेंगे।। हम वैसे तो दुनिया के रवायत से हैं, वाक़िफ। तुम ही ना रहे, इस दुनिया का क्या करें ? तुम आओगे एक दिन तो, मालूम है मुझे, पर मैं ही ना रहूं, उस दिन का क्या करें ?दौलत की जिस ढेर…

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सर्द सर्द रातों में……!

in poems

सर्द सर्द रातों में, दर्द भरी यादों की , महफिलें जब सजती हैं , ओस बिखर जाते हैं , आसमां के रोने में, अश्रु जम से जाते हैं ,आंखों के सोने में , तुम जहां भी जाओगे, दुनिया के कोने में , दूर ना कर पाओगे, मुझ में खुद के होने में ।वक्त ठहर जाता…

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चंदा की लोरी

in poems

चंदा जब तुम निशाकाल में आना, मेरे प्यारे लल्ला को, लोरी गाकर सुनाना, जिसमें हो इस देश की बातें, देश के गौरव गान की बातें, षड् ॠतुओं की सौगातें, उसको तुम बताना, जब तुम निशा काल में आना । पर्वत नदियाँ झरनें सागर, पूरित जिनसे देश का गागर, निर्मल पावन रखने को, उसको तुम सिखाना,…

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सूरज

in poems

हर सुबह उम्मीदों का सूरज, उगता ढलता दे जाता है , कुछ स्वप्न नये, कुछ पंख नये, कुछ अरमानों के रंग नये , देता है कुछ संदेश नए , नवजीवन के परिवेश नये, ठिठुरे सिकुड़े मनोभावों को, उष्माओं के कुछ अंश नये। जब नए उम्मीदों का दीपक , बुझने को आतुर होता है, तब सूरज…

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ज़न्नत-ए-एहसास

in poems

ख्वाबों की टोकरी, ख्वाहिशों का बोझ, जीवन की डोर से ,बंधा इनका छोर। श्वांसे हैं गिनती की,जाना है दूर, अधूरी सी ख्वाहिश से, इंसां मजबूर। कर्मों की टोकरी ही, जाएगी साथ, बाकी रह जाएगा, धरती के पास। छोड़ो इन ख्वाबों और ख्वाहिशों का बोझ, चलो, जिएं ऐसे जैसे, ज़न्नत-ए-एहसास तब सुखद हो जाएगा, धरती पे…

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मुक्तिमार्ग

in poems

प्रतिपल घटते इस जीवन में, सोच रही थी खड़ी खड़ी, संग्रह करने की चाहत क्यों, करता इंसां घड़ी घड़ी, खाली हाथ ही आया है जो , खाली हाथ ही जाएगा, कर्मों का लेखा जोखा ही, स्मृतियों में रह जाएगा। महल, दुमहले ,घोड़े, हाथी, नहीं बनेंगे तेरे साथी, करुणा ,परोपकार की थाती, मुक्ति मार्ग दिखलाएगा। जलबिंदु…

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तलाश

in poems

महलों की सिसकती दीवारों को, कौन शब्द दे पाएगा? स्वर्ण दिनारों के शोरगुल में , दर्द दफन हो जाएगा | रत्न जड़ित वस्त्रों की चकमक , सेवक, दासों का दल बल , अंतर्मन की पीड़ा पर , मरहम कौन लगाएगा ? श्वासों पर भी पहरे जिनके, हंसी पे ताले जड़ते हो, ऐसी घुटती श्वांसों का, शोर…

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फिक्र

in poems

है फिक्र उन्हे मेरी कितनी, ये मुझको भी मालूम नही, लोगों से कहते फिरते हैं, क्या कहते हैं, मालूम नही| है जेब गरम उनकी कितनी, ये बतलाना होता है, मेरी जेबों के छेदों को, गिनकर जतलाना होता है|   पैसों की गर्मी अहंकारवश, कब शोला बन जाती है! रावण की सोने की लंका, कब मिट्टी…

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