चाहत

in Stories

मिस्टर बागची रोज़ की तरह भ्रमण के लिए निकले, तो एक छोटा मरियल सा पिल्ला उनके पीछे-पीछे चलता हुआ न जाने कहां से आ गया।बहुत  पीछा छुड़ाने की कोशिश करने पर भी उसने पीछे आना न छोड़ा। तो मिस्टर  बागची ने उसे एक छोटी सी दुकान  जो सुबह-सुबह खोलने की प्रक्रिया में दुकानदार  झाड़ू लगा…

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सबके होते अपने श्याम …

in poems

कोई बोले रास रचईया,कोई बोले नटखट श्याम। कोई बोले कृष्ण कन्हैया,कोई बोले योगी श्याम। जिसने तुमको जैसा चाहा,वैसे ही तुम बनते श्याम। ज्ञानयोग और कर्मयोग का,ध्यानयोग का योगी श्याम,  जिसकी जितनी निष्ठा होती,उतना ही बस मिलते श्याम।  आत्मज्ञान निष्कामकर्म का,बोध कराए गीताज्ञान। जैसी जिसकी दृष्टि है ,बस वैसे ही है उनके श्याम।   

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शिक्षा का बाज़ार

in poems

अध्यापन व्यवसाय बन गया अध्यापक सामान, शिक्षा का बाज़ार बन गया, बिक्री-खरीद हुई आसान। बड़े- बड़े पोस्टर में सज गए विद्यालय के भवन, ज्ञान की बातें गौण हुई अब नैतिकता का हवन। बड़े-बड़े भवनों में बैठे शिक्षा के व्यापारी,पहले आओ पहले पाओ की है पूरी तैयारी। प्रतिभावान बेहाल भटकते है कितनी लाचारी ! भ्रष्टाचार की…

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गणतंत्र के उपासक

in poems

गणतंत्र के उपासक , हम लोग जानते हैं , बंधुत्व की ध्वजा का , हर रंग पहचानते हैं , प्रकृति ने जब से भेजा , हम सबको इस धरा पर , तब से ही हम लहू का, भी रंग जानते हैं । काला हो या हो गोरा , सूरते पंथ भी अलग हो , इंसानियत…

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चंद शेर……!

in poems
Trust

फुर्सत के लिए फुर्सत, तो निकालो यारों! जब वक्त निकल जाएगा, तो खाक मिलेंगे।। हम वैसे तो दुनिया के रवायत से हैं, वाक़िफ। तुम ही ना रहे, इस दुनिया का क्या करें ? तुम आओगे एक दिन तो, मालूम है मुझे, पर मैं ही ना रहूं, उस दिन का क्या करें ?दौलत की जिस ढेर…

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सर्द सर्द रातों में……!

in poems

सर्द सर्द रातों में, दर्द भरी यादों की , महफिलें जब सजती हैं , ओस बिखर जाते हैं , आसमां के रोने में, अश्रु जम से जाते हैं ,आंखों के सोने में , तुम जहां भी जाओगे, दुनिया के कोने में , दूर ना कर पाओगे, मुझ में खुद के होने में ।वक्त ठहर जाता…

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