हिंदी भाषा की व्यथा

in Blogs

मैं हिंदी भाषा हूं ,आजकल कुछ उदास सी रहती हूं, क्योंकि मेरे अपनों ने मेरी परवाह करना छोड़ दिया है। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था, मैंने जीवन का बेहद सुनहरा दौर भी देखा है ।मैंने महादेवी वर्मा ,जयशंकर प्रसाद और निराला जैसे महान छायावादी कवियों का दौर भी देखा है । वो मेरी खुशनुमा…

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गुलाब का संदेश

in poems

मेरी बगिया का अधखिला गुलाब, नव ऊष्मा से पूरित गुलाब , कुछ मुस्काता सा बोल रहा, अपनी पंखुड़ियां खोल रहा, खिलने के पहले कांटो संग ये सफर पूर्ण किया मैंने , दुनिया को दिखती सुंदरता, लेकिन जो दर्द सहा मैंने, उसकी बातें भी क्या करना? दुनिया वालों को ये कहना, खिलने वाली कलियां चुनना। जो…

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साझेदारी

in Stories

मेरे बाबा, जिनके गुस्से से घर में मेरी मां और सारे भाई बहन डरते थे । वो जब किसी बात पर नाराज होते थे, तो किसी की हिम्मत नहीं होती थी , कि उन्हें भोजन कक्ष में बुलाकर ले आए। मैं घर में सबसे छोटी थी, शायद सबसे निर्भीक भी ,इसलिए जब बाबा गुस्से में…

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क़ैद

in Stories

उत्तराखंड की यात्रा के दौरान मैं नैनीताल के जिस होटल में रुकी थी ,उस होटल से वापसी वाले दिन सीढ़ियों से उतरते समय एक संन्यासी जैसी वेशभूषा वाला व्यक्ति मुझे दिखा। ना चाहते हुए भी मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया, कि क्षमा कीजिएगा, क्या मैं आपका शुभ नाम जान सकती हूं ? संन्यासी…

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जिज्जी

in Stories

A stort about society marriage system

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हिन्दीभाषा ये पूछ रही..

in poems

आँखों में लिए प्रश्न बैठी ,इन्तज़ार  की चौखट पर , वो समय  कहाँ, कब आएगा ,जो मेरा भाग्य जगाएगा। हिन्दी सबकी जननी है तो ,सब क्यूं जननी को भूल गए , जो अँधियारे में भटक रही , हम दीप जलाना  भूल  गए । है राह निहारे यहाँ वहाँ ,तकती आँखें अब पूछ रही , हम…

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